Thursday, February 14, 2013

Bollywood tragedy king 'दिलीप कुमार'

              
हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री का एक दमकता सितारा दिलीप कुमार का असली नाम मोहम्मद युसुफ खान है। दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर साल 1922 में हुआ था। पाकिस्तान के पेशावर में दिलीप साहब के पिता का फलों का बागीचा था। जिसके बाद उन्होंने मुंबई के दाबोली में फलों का एक बागीचा खरीदा। साल 1930 में दिलीप साहब का पूरा परिवार मुंबई आकर बस गया। साल 1940 में दिलीप साहब ने अपने पिता से ख्वाहिश जताई कि वो फिल्मों में काम करना चाहते हैं लेकिन उनके पिता ने मना कर दिया। पिता से नाराज़ होकर उन्होंने मुंबई छोड़ दी और पुणे का रुख किया। पुणे में दिलीप कुमार ने कुछ दिनों तक कैंटीन चलाने और ड्राइ फ्रूट की सप्लाई करने का काम किया। साल 1943 में देविका रानी और हिमांशु राय ने दिलीप साहब को आउंध मिलिट्री कैंटीन में देखा, दिलीप यानि युसुफ साहब को देखकर हिमांशु राय ने उन्हें फिल्म में काम करने का ऑफर दिया... युसुफ साहब ने हां कर दी और बॉम्बे टॉकीज़ के बैनर तले युसुफ साहब को पहली फिल्म मिली ज्वार भाटा...
                                                
दिलीप कुमार ये नाम ये नाम उन्हें हिन्दी के प्रसिद्ध लेखक भगवती चरण वर्मा ने दिया था । फिल्म की सफलता के बाद मानों दिलीप साहब की सफलता में चार चांद लग गए। और हर फिल्म एक रिकॉर्ड बनाने लगी। इस दौरान कई हिरोइन्स के साथ दिलीप साहब ने काम किया। फिल्मों में निभाई गई भूमिका के अनुरुप ऑडियन्स ने दिलीप साहब को ट्रैजिडी किंग का दर्जा दे दिया। दिलीप कुमार के लिए कई गायकों ने अपनी आवाज़ दी जिसमें सबसे ज़्यादा मो. रफी के गीत शामिल हैं... इसके अलावा तलत महमूद और मुकेश ने भी दिलीप कुमार के लिए काफी हिट नंबर्स दिये। किशोर कुमार ने भी दिलीप कुमार के लिए 1974 में आई फिल्म सगीना में साला मै तो साहब बन गया गीत गाया जो कि काफी मशहूर हुआ। इस गाने की कई जगहों पर आलोचना भी की गई क्योंकी पहली बार किसी गाने में साला शब्द का इस्तेमाल किया गया था। साल 1966 में दिलीप कुमार ने सायरा बानो से शादी की। जिस वक्त सायरा बानो की दिलीप कुमार से शादी हुई दिलीप कुमार 44 साल के थे जबकि सायरा बानो सिर्फ 22 साल की थीं। इससे पहले दिलीप कुमार की शादी आशमा नाम की पाकिस्तानी महिला से हुई थी। सायरा बानो से शादी करने के लिए दिलीप कुमार ने आशमा को तलाक दे दिया। दिलीप कुमार के तीन भाई भी थे जिनका नाम नसीर खान, एहसान खान और असलम खान था। नसीर खान दिलीप कुमार के साथ कुछ फिल्मों में भी नज़र आए। फिल्म बैराग और गंगा जमुना में नसीर दिलीप कुमार के साथ काम कर चुके हैं। 70 के दशक में दिलीप कुमार को राजेश खन्ना और अमिताभ जैसे सितारों से खासी टक्कर मिलने लगी।
                                         
इसके बाद दिलीप कुमार के खाते में कुछ फ्लॉप फिल्में भी जुड़ी लेकिन साल 1976 में आई फिल्म बैराग ने उन्हें एक लंबे वक्त के बाद सफलता दिलाई। इस सफलता के बाद दिलीप कुमार ने फिल्म इंडस्ट्री से कुछ दिनों का ब्रेक लिया और 5 साल तक काम नहीं किया जिसके बाद वो सीधे नज़र आए साल 1981 में आई फिल्म क्रांति में, जो कि एक मल्टीस्टारर फिल्म थी। इसके बाद साल 1982 में आई फिल्म शक्ति में उनके साथ अमिताभ बच्चन और रेखा ने काम किया। इस फिल्म में दिलीप कुमार अमिताभ के पिता के रुप में नज़र आए। दिलीप कुमार का नाम गिनीज़ बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में सबसे ज़्यादा अवॉर्ड पाने वालों में भी दर्ज है। दिलीप साहब को 8 फिल्म फेयर पुरस्कार मिले जबकि वो 19 बार फिल्म फेयर के पुरस्कार के लिए नामित हुए। 1991 में दिलीप साहब को पद्म भूषण से नवाज़ा गया जबकि उन्हें साल 1993 में फिल्म फेयर लाइफ टाइम एचीवमेंट पुरस्कार से नवाज़ा गया। साल 1994 में दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से भी दिलीप साहब को नवाज़ा गया। जबकि साल 1998 में पाकिस्तान सरकार ने दिलीप कुमार को निशान-ए-इम्तियाज़ के अवॉर्ड ने नवाज़ा। हालांकि उस वक्त कारगिल लड़ाई हो गई थी लिहाजा भारत के कई लोगों ने दिलीप कुमार पर दबाव ड़ाला कि वो इस सम्मान को वापस कर दे। लेकिन दिलीप कुमार ने कहा कि राजनीतिक कारणों के चलते वो ये सम्मान वापस नहीं करेंगे। साल 1998 में आई फिल्म किला में दिलीप कुमार आखिरी बार बड़ी स्क्रीन पर नज़र आए थे। जिसमें उन्होंने अमरनाथ सिंह का किरदार निभाया था। जबकि बॉक्स ऑफिस पर सफलता की बात की जाए तो साल 1991 में राजकुमार के साथ आई उनकी फिल्म सौदागर उनकी आखिरी हिट फिल्म थी।

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