बीआर चोपड़ा हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के माइल स्टोन ही नहीं है बल्कि देश में टीवी सिरियल्स की शुरुआत करने वालों में से हैं... बीआर चोपड़ा का पूरा नाम बलदेव राज चोपड़ा था। बीआर चोपड़ा ने अपने करियर की शुरुआत साल 1944 में की... वो लाहौर से निकलने वाली ‘सिने हेराल्ड’ नाम की पत्रिका में पत्रकार थे, बाद में इस मैगज़ीन को वो खुद ही चलाने लगे और साल 1947 तक इसका प्रकाशन किया। साल 1947 में ही उन्होंने आईएस जौहर की लिखी गई एक कहानी पर ‘चांदनी चौक’ फिल्म का निर्माण करने की शुरुआत की... जिसमें नईम हाशमी को हीरो की भूमिका दी गई... साल 1947 में आज़ादी के बाद जब मुल्क के दो टुकड़े हो गए तो बीआर चोपड़ा को पूरे परिवार समेत दिल्ली आना पड़ा... दिल्ली से कुछ दिनों के बाद बीआर चोपड़ा मुंबई जाकर बस गए... साल 1948 में उन्होंने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उतरने का मन बना लिया... और 1948 में ‘करवट’ फिल्म का निर्माण किया। जो कि बॉक्स ऑफिस पर ज़्यादा कमाल नहीं दिखा पाई... साल 1951 में आई फिल्म ‘अफसाना’ ने बीआर चोपड़ा को हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री में पहचान दिला दी। इस फिल्म में अशोक कुमार को डबल रोल था। बीआर चोपड़ा ने साल 1954 में अपनी फिल्म ‘चांदनी चौक’ की फिर से शुरुआत की। इस फिल्म में मीना कुमारी को लिया गया। साल 1955 में बीआर चोपड़ा ने अपनी खुद की फिल्म कंपनी बीआर फिल्म्स की नींव रखी। जिसने साल 1957 में बनाई फिल्म ‘नया दौर’। ये फिल्म बीआर फिल्म्स के लिए मील का पत्थर साबित हुई। इसके बाद बीआर चोपड़ा ने एक के बाद एक हिट फिल्मों की झड़ी लगा दी। जैसे साधना (1958), कानून (1961), गुमराह (1963) और हमराज़ (1967)। अस्सी के दशक में बनाए गए टीवी सीरियल ‘महाभारत’ ने बीआर फिल्म को एक नए मुकाम पर पहुंचाया।
1998 में बीआर चोपड़ा को 'दादा साहब फाल्के अवॉर्ड' से नवाज़ा गया। आपको बता दें कि निर्देशक यश चोपड़ा, बीआर चोपड़ा के छोटे भाई थे। लंबी बीमारी के बाद 94 साल की उम्र में साल 2008 में बीआर चोपड़ा का निधन हो गया।
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