Thursday, February 7, 2013

First Indian Production House 'प्रभात फिल्म कंपनी'

                            
हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री यूं तो अपनी एक अलग पहचान रखती है लेकिन इस इंडस्ट्री का जन्म मराठी फिल्म इंडस्ट्री से हुआ ये कहना गलत नहीं होगा... इस लिस्ट में 1929 में आई प्रभात फिल्म कंपनी का योगदान काफी अहम है... साल 1920 में बाबूराव पेंटर मूक फिल्मों के निर्माण के क्षेत्र में काफी काम कर रहे थे... इन्हीं के साथ मिलकर कुछ और लोग भी काम कर रहे थे... जिनमें विष्णुपंत दामले, वी. शांताराम, के धाइबर और एस फत्तेलाल शामिल थे... इन लोगों ने फिल्म निर्माण की कई बारीकियां बाबूराव पेंटर से सीखीं थी... फिल्मों ने निर्माण के लिए प्रमुख फायनेंसर बाबूराव थे लिहाज़ा सभी काम उनके हिसाब से होते थे... वी शांताराम को उनका काफी करीबी माना जाता था...लेकिन कुछ सालों के बाद बाबूराव से अनबन के चलते इन सभी लोगों ने अपना काम अलग करने का विचार किया... फिल्मों के निर्माण के लिए पैसा ज़रुरी था लिहाज़ा सोने के व्यापारी एस कुलकर्णी को साथ लेकर एक नई टीम बनाई गई... और 1 जून 1929 को प्रभात फिल्म कंपनी की स्थापना हुई...
                                             

शुरुआती वक्त में इसे सिर्फ 15,000 रुपये से शुरु किया गया... उस वक्त 15,000 रुपये काफी ज़्यादा थे... चूंकि फिल्म क्षेत्र में दिन ब दिन तरक्की हो रही थी... और मुंबई को फिल्म निर्माण का हब माना जाने लगा था... लिहाज़ा ये टीम सितंबर 1933 में मुंबई के नज़दीक पुणे आ गई... और साल 1934 में प्रभात फिल्म कंपनी के स्टूडियो की विधिवत शुरुआत की गई... इस शुरुआत के बाद प्रभात फिल्म कंपनी ने कई फिल्मों का निर्माण किया जिनमें प्रमुख थीं... अमृत मंथन(1935), संत तुकाराम (1936), कुंकु(1937) और माणुस (1939)... प्रभात की  फिल्म संत तुकाराम साल 1936 में काफी बड़ी हिट साबित हुई थी... क्या आप जानते हैं कि उस वक्त इस फिल्म को वेनिस फिल्म फेस्टिवल में पुरस्कार से नवाज़ा गया था... इतना ही नहीं ये फिल्म आज भी वहां के कोर्स में शामिल है... साल 1942 में वी शांताराम इस टीम से अलग हो गये... और उन्होंने अलग से फिल्मों का निर्माण शुरु करना तय किया...और राजकमल कला मंदिर स्टूडियो की शुरुआत की... शांताराम के अलग हो जाने के बाद प्रभात स्टूडियो बिखर गया और 13 अक्टूबर साल 1953 में इसे बंद कर दिया गया... लेकिन फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया में आज भी प्रभात फिल्म कंपनी की यादों के सहेज कर रखा गया है...

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