Sunday, February 10, 2013

Indian Film Icon अशोक कुमार 'दादा मुनि'

दादा मुनि... अशोक कुमार को फिल्म इंडस्ट्री इसी नाम से पुकारती है... दादा मुनि मध्य प्रदेश के खंडवा में पैदा हुए थे... अशोक कुमार के दो और भाई फिल्मों से जुड़े जिनमें से एक थे किशोर कुमार और दूसरे थे अनूप कुमार... इस तीनों भाइयों को एक साथ 'चलती का नाम गाड़ी' और 'बढ़ती का नाम गाड़ी' में देखा जा सकता है... दादा मुनि याने के अशोक कुमार के फिल्मों में आने का किस्सा बेहद की रोचक है...  अशोक कुमार के पिता वकील थे लिहाज़ा अपने बड़े बेटे को वो वकील बनाना चाहते थे... लेकिन अशोक कुमार फिल्म डायरेक्टर बनना चाहते थे... लिहाज़ा उन्होंने संपर्क किया अपने जीजा शशिधर मुखर्जी से... जो कि उन दिनों फिल्मों के निर्माण से जुड़े हुए थे...अशोक कुमार के दो भाई और एक बहन थी जिसका नाम सती देवी था उनकी शादी अशोक कुमार ने अपने कॉलेज के दोस्त शशिधर मुखर्जी से करवाई... शशिधर मुखर्जी ही अशोक कुमार को फिल्मों में लाए...
                                 

अशोक कुमार को फिल्मों का काफी शौक था और वो मुंबई के न्यू थियेटर में लैब असिस्टेंट का काम कर रहे थे... फिल्मों के प्रति उनका रुझान देखते हुए शशिधर ने उन्हें बॉम्बे टॉकीज़ बुला लिया...जिसके बाद फिल्मों में असिस्टेंट डायरेक्टर के लिए दादा मुनि हिमांशु रॉय के संपर्क में आए... एक दिन फिल्म के सेट से हीरो नदारद हो गया... शूटिंग की सारी तैयारियां पूरी हो चुकी थीं... लिहाजा ज़रूरी था कि काम पूरा किया जाए... आनन फानन में फैसला किया गया कि अशोक कुमार फिल्म के हीरो होंगे... अशोक कुमार हीरो बनना नहीं चाहते थे लेकिन हिमांशु रॉय के दबाव और वक्त की नज़ाकत को देखते हुए उन्होंने हीरो बनना स्वीकार कर लिया... पहले शॉट से जुड़ा बेहद दिलचस्प किस्सा है कि अशोक कुमार को दौड़ कर विलेन को मारना था... और एक्शन बोलने पर शॉट शुरु होना था... अशोक कुमार पहली बार कोई शॉट खुद देने जा रहे थे... लिहाज़ा थोड़ी टेंशन ज़रूर थी और इसी टेंशन का नतीजा रहा कि बिना एक्शन बोले ही अशोक कुमार दौड़ कर विलेन से भिड़ गए और असलियत में ही उसे धक्का दे दिया... जिससे शॉट के दौरान विलेन के पांव में चोट लग गई... इसके बाद उनकी फिल्म अछूत कन्या ने कई रिकॉर्ड तोड़े....देविका रानी के साथ फिल्म में काम करने के बाद अशोक कुमार भी फिल्म इंडस्ट्री के सितारों में शुमार हो गये... फिल्म इंडस्ट्री में आने से अशोक कुमार के घरवाले काफी नाराज़ हो चुके थे लेकिन अशोक कुमार की मां ने फिल्म  देखने के बाद अशोक कुमार को माफ ही नहीं किया बल्कि उनको आगे काम करने के लिए आज़ादी भी दे दी... क्या आप जानते हैं क्यों... क्योंकी उन्होंने अछूत कन्या देखने के बाद कहा कि फिल्मों में काम करने के बाद भी उनके लड़के ने संस्कारों का ध्यान रखते हुए फिल्म की हिरोइन को एक बार भी छुआ नहीं... घर से फिल्मों में आज़ादी मिलने के बाद अशोक कुमार ने भी कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा...सामाजिक पृष्ठभूमि पर बनी यह फिल्म काफी पसंद की गई और इसके साथ ही अशोक कुमार बतौर अभिनेता फिल्म इंडस्ट्री मे अपनी पहचान बनाने में सफल हो गए... इसके बाद देविका रानी के साथ अशोक कुमार ने कई फिल्मों में काम किया। इन फिल्मों में 1937 मे प्रदर्शित फिल्म इज्जत के अलावा फिल्म सावित्री (1938) और निर्मला (1938) जैसी फिल्में शामिल हैं। इन फिल्मों को दर्शको ने पसंद तो किया, लेकिन कामयाबी का श्रेय बजाए अशोक कुमार के फिल्म की अभिनेत्री देविका रानी को दिया गया। इसके बाद उन्होंने 1939 मे प्रदर्शित फिल्म कंगन, बंधन 1940 और झूला 1941 में अभिनेत्री लीला चिटनिश के साथ काम किया। इन फिल्मों मे उनके अभिनय को दर्शको द्वारा काफी सराहा गया, जिसके बाद अशोक कुमार बतौर अभिनेता फिल्म इंडस्ट्री मे स्थापित हो गए। अशोक कुमार को 1943 मे बांबे टाकीज की एक अन्य फिल्म किस्मत में काम करने का मौका मिला। इस फिल्म में अशोक कुमार ने फिल्म इंडस्ट्री के अभिनेता की पांरपरिक छवि से बाहर निकल कर अपनी एक अलग छवि बनाई। इस फिल्म मे उन्होंने पहली बार एंटी हीरो की भूमिका की और अपनी इस भूमिका के जरिए भी वह दर्शको का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने मे सफल रहे।
                                            
 किस्मत ने बॉक्स आफिस के सारे रिकार्ड तोड़ते हुए कोलकाता के चित्रा सिनेमा हॉल में लगभग चार वर्ष तक लगातार चलने का रिकार्ड बनाया। बांबे टॉकीज के मालिक हिमांशु राय की मौत के बाद 1943 में अशोक कुमार बॉम्बे टाकीज को छोड़ फिल्मिस्तान स्टूडियों चले गए। वर्ष 1947 मे देविका रानी के बाम्बे टॉकीज छोड़ देने के बाद अशोक कुमार ने बतौर प्रोडक्शन चीफ बाम्बे टाकीज के बैनर तले मशाल जिद्दी और मजबूर जैसी कई फिल्मों का निर्माण किया... इस प्रोडक्शन कंपनी ने आखिरी फिल्म का निर्माण किया जिसमे अशोक कुमार के साथ मधुबाला ने बड़े पर्दे पर पदार्पण किया... ये मधुबाला की पहली फिल्म थी... और इस जोड़ी ने कामयाबी के काफी सारे रिकॉर्ड्स को ध्वस्त किया...अशोक कुमार के दो भाई किशोर और अनूप ने भी फिल्मों को अपना कैरियर बनाया... फिल्मों में काम करने के लिए अशोक कुमार ने संगीत सीखा था लेकिन किशोर कुमार ने बिना संगीत सीखे फिल्मों में गायक के रुप में अपनी एक अलग पहचान बनाई तो वहीं अनूप कुमार बंगाली फिल्मों के सुपरस्टार के रुप में उभरे ...अशोक कुमार की दो बेटियां थीं जिनमें से एक का नाम था रुपा गांगुली और दूसरी का नाम था प्रीति गांगुली... रुपा गांगुली की शादी फिल्मों में हास्य भूमिका निभा चुके देवेन वर्मा से हुई... शशिधर मुखर्जी के बारे में आपको बता दें कि शशिधर मुखर्जी फिल्म स्टार जॉय मुखर्जी के पिता थे... और फिल्म अभिनेत्री काजोल और रानी मुखर्जी के दादा... अशोक कुमार ने 275 फिल्मों में काम के साथ साथ छोटे पर्दे पर भी बखूबी काम किया... एक्टिंग के साथ साथ उन्हें पेंटिंग का भी काफी शौक था... लेकिन 90 साल की उम्र में चेंबूर स्थित उनके घर में उनका निधन हो गया... और हिन्दी फिल्मों का ये सूरज सदा के लिये अस्त हो गया...

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